घर बैठे पुस्तक के पन्ने पलट रहा था, इतिहास था इसलिए कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा था, पढ़ते पढ़ घर बैठे पुस्तक के पन्ने पलट रहा था, इतिहास था इसलिए कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा था,...
ज़िन्दगी दिन के जैसी कहानी लगे भोर जिसकी सदा ही सुहानी लगे दोपहर सी तपिश है जवानी! ज़िन्दगी दिन के जैसी कहानी लगे भोर जिसकी सदा ही सुहानी लगे दोपहर सी तपिश...
जब कहा जाए कि, 'मुझे आपकी ज़रूरत है!' फिर कौन से शब्दों की ज़रूरत है? जब कहा जाए कि, 'मुझे आपकी ज़रूरत है!' फिर कौन से शब्दों की ज़रूरत है?
तबस्सुम को ना कभी शिकायत काटों की ज़रूरी नहीं हर खत को लिफाफों की, हर रात रोशन आसमा तबस्सुम को ना कभी शिकायत काटों की ज़रूरी नहीं हर खत को लिफाफों की, हर ...
न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है, न कुछ हम कहें ,न कुछ तुम कहो ये लम्हों से लम्हों की बात है,
अगर कोई इनको धर्म से जोड़ता है ,वो इंसानियत से मुँह मोड़ता है सिर्फ अपने फायदे के खात अगर कोई इनको धर्म से जोड़ता है ,वो इंसानियत से मुँह मोड़ता है सिर्फ अपने फाय...